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हाईकोर्ट द्वारा समर्थकों की ओर किसी भी तरह का इशारा नहीं करने की सख्त हिदायत के बावजूद आसाराम ने जोधपुर सेंट्रल जेल से अपने मोबाइल ऐप 'मंगलमय' के जरिए समर्थकों से बात की। ये बातचीत वायरल हो गई है और आसाराम एक बार फिर विवाद में आ गए हैं। आसाराम ने समर्थकों से कहा है कि वे पहले शिल्पी को जेल से निकलवाने की व्यवस्था करेंगे, फिर शरद को और इसके बाद वे जेल से बाहर आकर अपने समर्थकों के बीच होंगे।
'पहले शिल्पी, फिर शरद निकलेंगे जेल से बाहर, फिर मैं आऊंगा आपके बीच'आसाराम की इस बातचीत से पहले उसके फेसबुक पेज पर बाकायदा ये सूचना दी गई कि आसाराम अपने समर्थकों से 27 अप्रैल की शाम बातचीत करेंगे। समर्थकों को हिदायत दी गई कि आसाराम को उनके मोबाइल ऐप पर जरूर सुनें। इस संदेश में आसाराम का फोटो भी लगा हुआ था। इसके बाद शाम 6.30 बजे आसाराम ने जेल से समर्थकों से बातचीत की। जैसे ही आसाराम की बातचीत वायरल हुई, फेसबुक और ऐप से उनका ऑडियो हटा लिया गया। आसाराम का ये ऑडियो 16.43 मिनट का है। आसाराम ने साबरमती आश्रम के जदवानी निशांत से बात की थी। बातचीत में कहा कि हमने कोई साजिश नहीं की, फिर भी सजा सुना दी गई। पूरा केस की एक साजिश है।
जेल प्रशासन ने हरकत को माना गलत, छिन सकती है फोन करने की सुविधाजेल प्रशासन ने कहा है कि आसाराम ने एसटीडी फोन से साबरमती आश्रम में बात करने की इजाजत मांगी थी इसके लिए उसने पैसे भी जमा करवाए थे। जेल प्रशासन का कहना है कि हो सकता है कि ये कॉल रिकॉर्ड करने के बाद ये संबंधित ऑडियो आश्रम ने सोशल मीडिया पर डाला हो। जेल में हर कैदी को दो नंबरों पर 80 मिनट बातचीत करने की इजाजत दी जा सकती है। हालांकि कैदियों द्वारा बात करने से पहले इन नंबरों की एटीएस जांच करवा ली जाती है।
जेल प्रशासन ने माना है कि इस तरह से फोन पर बातचीत का लाइव होना या वायरल होना गलत है। कैदियों द्वारा फोन पर होने वाली हर बातचीत रिकॉर्ड होती है। कैदियों को दी जा रही फोन करने की सुविधा का यदि दुरुपयोग होता है, तो ये सुविधा बंद की जा सकती है।
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