नई दिल्ली : देश की राजनीति में सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने अपने नाम एक नया अध्याय जोड़ दिया है. वह देश के सबसे लंबे समय तक लगातार रहने वाले मुख्यमंत्री बन गए हैं. इससे पहले ये रिकॉर्ड पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री और सीपीएम के नेता दिवंगत ज्योति बसु के नाम था. लेकिन 28 अप्रैल 2018 के बाद देश में पवन चामलिंग सबसे ज्यादा लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्री बन गए हैं. अभी उनका कार्यकाल मई 2019 तक है. मतलब वह इस रिकॉर्ड को और लंबा कर देंगे.
देश के एक छोटे से राज्य के मुख्यमंत्री रहते हुए पवन चामलिंग और उनकी पार्टी सिक्किम डेमोक्रटिक फ्रंट ने राजनीति की उन तमाम धारणाओं को ध्वस्त कर दिया, जिनमें 'एंटी इन्कंबेंसी' जैसी बातें कही जाती हैं. लेकिन पवन चामलिंग इन सभी आरोपों से परे हैं. वह लगातार 23 साल 4 महीने और 17 दिन से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर हैं.
ज्योति बसु ने बनाया था ये रिकॉर्ड
देश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु के नाम था. ज्योति बसु 21 जून 1977 को मुख्यमंत्री बने. वह इसके बाद 6 नवंबर 2000 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे. इस तरह से वह कुल 23 साल, 4 महीने और 16 दिन एक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने कुल 8538 दिनों तक बंगाल पर शासन किया.
देश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु के नाम था. ज्योति बसु 21 जून 1977 को मुख्यमंत्री बने. वह इसके बाद 6 नवंबर 2000 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे. इस तरह से वह कुल 23 साल, 4 महीने और 16 दिन एक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने कुल 8538 दिनों तक बंगाल पर शासन किया.
अब पवन चामलिंग निकले सबसे आगे
68 साल के पवन चामलिंग ने सिक्किम में सत्ता 12 दिसंबर 1994 को संभाली. तब से लेकर अब तक वही राज्य के मुख्यमंत्री हैं. वह 8539 दिनों से लगातार सिक्किम के मुख्यमंत्री हैं. कमाल की बात ये है कि इस दौरान उनकी लोकप्रियता घटने की बजाए बढ़ती गई. एक बार तो वह विधानसभा की सभी सीटें अपने नाम कर चुके हैं.
68 साल के पवन चामलिंग ने सिक्किम में सत्ता 12 दिसंबर 1994 को संभाली. तब से लेकर अब तक वही राज्य के मुख्यमंत्री हैं. वह 8539 दिनों से लगातार सिक्किम के मुख्यमंत्री हैं. कमाल की बात ये है कि इस दौरान उनकी लोकप्रियता घटने की बजाए बढ़ती गई. एक बार तो वह विधानसभा की सभी सीटें अपने नाम कर चुके हैं.
पवन चामलिंग जिस तरह से अभी राज्य में सत्ता संभाल रहे हैं, उसे देखते हुए नहीं लगता कि उन्हें आने वाले दिनों में कोई सत्ता से हटा पाएगा. इसका एक उदाहरण पिछले साल अप्रैल में देखने को मिला. सिक्किम उपचुनाव में सिक्किम डेमोक्रेटिक का उम्मीदवार आठ हजार से ज्यादा वोटों से जीता. भाजपा को 374 लोगों का साथ मिला और कांग्रेस तो 100 वोट भी नहीं मिले.
पवन चामलिंग ने 1982 में सिक्किम में एक ग्राम पंचायत से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था. 1985 में वह पहली बार सिक्किम संग्राम परिषद के टिकट पर पहली बार एमएलए चुने गए और 1994 में आकर उन्होंने अपनी पार्टी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट बना ली. तब से सिक्किम पर उन्हीं का राज है.
पवन चामलिंग ने जीत का ऐसा रिकॉर्ड बनाया है, जो देश में कोई पार्टी नहीं कर पाई
नई दिल्ली : पवन चामलिंग ऐसे नेता हैं, जो तमाम पुरानी धारणाओं को तोड़ते हैं. आमतौर पर नेताओं की लोकप्रियता समय के साथ साथ घटती जाती है. लेकिन पवन चामलिंग के साथ ऐसा नहीं है. 1984 में सिक्किम में ग्राम पंचायत से अपने राजनीति की शुरुआत करने वाले पवन चामलिंग चार साल बाद ही विधायकी का चुनाव जीत गए. 1994 में अपनी पार्टी बनाई और छह महीने बाद राज्य की सत्ता अपने नाम कर ली.
नई दिल्ली : पवन चामलिंग ऐसे नेता हैं, जो तमाम पुरानी धारणाओं को तोड़ते हैं. आमतौर पर नेताओं की लोकप्रियता समय के साथ साथ घटती जाती है. लेकिन पवन चामलिंग के साथ ऐसा नहीं है. 1984 में सिक्किम में ग्राम पंचायत से अपने राजनीति की शुरुआत करने वाले पवन चामलिंग चार साल बाद ही विधायकी का चुनाव जीत गए. 1994 में अपनी पार्टी बनाई और छह महीने बाद राज्य की सत्ता अपने नाम कर ली.
2004 में उन्होंने 32 में से 31 सीटें जीत लीं. देश के इतिहास में आज तक इतनी शानदार जीत किसी भी राज्य में किसी भी पार्टी को नहीं मिली.
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