बीबीसी ने लगभग एक दर्जन युवा अभिनेत्रियों से बात की जो बताती हैं कि उन्होंने फ़िल्मों में किरदार लेने के लिए भद्दी टिप्पणियों और यौन शोषण का सामना किया है। ऐसी अभिनेत्रियों ने अपनी पहचान जाहिर करने से इनकार किया क्योंकि उन्हें झूठा कहे जाने और इसके बाद बदला झेलने का डर है। राष्ट्रीय फ़िल्म पुरुस्कार से सम्मानित फ़िल्म अभिनेत्री ऊषा जाधव उन चुनिंदा महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने यौन शोषण के अनुभवों के बारे में सार्वजनिक रूप से बताना शुरू किया है।
वह उम्मीद करती हैं कि उनकी कहानी जानकर दूसरी अभिनेत्रियों भी अपने अनुभवों के साथ आगे आएंगी।
ऊषा जब पहली बार मुंबई आई थीं तो उनसे कहा गया कि उन्हें काम हासिल करने के लिए निर्देशकों और प्रोड्यूसरों के साथ 'सोना' पड़ेगा। अपने साथ घटी एक घटना याद करते हुए वह कहती हैं कि मुझसे कहा गया, "हम आपको कुछ दे रहे हैं, आपको भी हमें बदले में कुछ देना पड़ेगा।"
ऊषा कहती हैं कि फ़िल्म इंडस्ट्री में कुछ युवा महिलाओं को लगता है कि उनके पास सहमति जताने के अलावा कोई और विकल्प नहीं हैं। वह बताती हैं कि उन्होंने हमेशा ऐसे सेक्सुअल प्रिपोज़िशंस को ठुकराया है लेकिन इससे उन्हें धमकियां मिली हैं जिसमें एक व्यक्ति द्वारा ये धमकी भी मिली है कि वह उन्हें अपनी फ़िल्म में नहीं लेगा क्योंकि उन्होंने उनके ऑफ़र को ठुकराया है। "उसने मुझे गालियां दीं और कहा कि तुम्हें एक भी अच्छा रोल नहीं मिलेगा, तुम्हारे साथ कुछ भी अच्छा नहीं होगा। तब मैंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि तुम्हारी इतनी ताक़त है।"
कितनी ताक़त
radhika apte
बीबीसी से बात करने वाली फ़िल्म अभिनेत्री राधिका आप्टे कहती हैं कि ताकत ही एक ऐसा पहलू है जो ऐसी चीजों को जन्म देता है। फ़िल्म इंडस्ट्री के कई बड़े नामों ने अब तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधी हुई है, लेकिन राधिका आप्टे उन अभिनेत्रियों में शामिल हैं जिन्होंने इस बारे में खुलकर सामने आने का फ़ैसला किया है।
हाल ही में उन्होंने पैडमैन फिल्म में काम किया। इस फिल्म में एक ऐसे पुरुष की कहानी बताई गई जो महिलाओं के लिए सस्ते सैनिटरी पैड बनाता था। राधिका आप्टे ऑन स्क्रीन और ऑफ स्क्रीन दोनों ही जगह महिलाओं के अधिकारों की बात रखती रही हैं। वे कहती हैं, ''मैंने इस बारे में खुलकर बोलना शुरू किया...मुझे इंडस्ट्री की उन महिलाओं की हालत भी समझ आती है और उन पर दया भी आती है जो इन मुद्दों पर बोलने से घबराती हैं।''
राधिका कहती हैं कि बॉलीवुड में प्रवेश करने का कोई सरल या निर्धारित तरीका नहीं है, यही वजह है कि महिला अभिनेत्रियों के साथ इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं। राधिका बताती हैं, ''भारतीय फिल्मों में एक अदद मौका बड़ी मुश्किल से मिलता है, इसके लिए हमारे निजी संपर्क, सोसाइटी में हमारी पहुंच और हम कैसे दिखते हैं ये सब अहम होता है. जबकि हॉलीवुड में इसकी एक औपचारिक प्रक्रिया है जिसमें एक्टिंग स्कूल में प्रवेश लेना और फिर वहां से स्टेज शो के ज़रिए फिल्में प्राप्त की जाती हैं।''
राधिका चाहती हैं हॉलीवुड की तरह बॉलीवु़ड में भी #MeToo जैसा कैम्पेन चले। हालांकि साथ ही वो ये बात भी जोड़ती हैं कि ऐसा तब तक नहीं होगा जब तक बड़े नामी लोग पीड़ितों के समर्थन में नहीं उतरेंगे।
युवा खुलकर नहीं बोलते
Kalki
बॉलीवुड की एक और जानी-मानी अभिनेत्री कल्कि केकलां ने बीबीसी के साथ इस मुद्दे पर अपने विचार साझा किए. कल्कि बचपन में अपने साथ हुए यौन शोषण के बारे में पहले ही खुलकर बता चुकी हैं। वे कहती हैं कि उन्हें उन युवा अभिनेताओं और अभिनेत्रियों पर तरस आता है जो अपने साथ हो रहे गलत व्यवहार के बारे में खुलकर नहीं बोल पाते। कल्कि ने बीबीसी से कहा, ''अगर आपकी कोई पहचान नहीं है तो कोई भी आपको सुनना नहीं चाहेगा, लेकिन अगर आप एक सेलिब्रिटी हैं और तब आप कुछ बोल रहे हैं तो ये एक बड़ी हेडलाइन बन जाएगी।''
लेकिन उत्पी़ड़न का यह मसला बॉलीवुड के बाहर भी फैला हुआ है। भारत में एक बड़ा फिल्म बाजार है जहां अलग-अलग भाषाओं में फिल्में बनती हैं और इन क्षेत्रीय सिनेमा में काम करने वाली महिला कलाकार भी अब अपने साथ होने वाले उत्पीड़न के बारे में बोलने लगी हैं। हाल ही में दक्षिण भारत की तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री की एक अभिनेत्री श्रीरेड्डी ने उनके साथ हुए कास्टिंग काउच का विरोध जताते हुए एक फ़िल्म एसोसिएशन के परिसर में सार्वजनिक रूप से अपने कपड़े उतार दिए थे। शुरुआत में तो इसे सस्ती लोकप्रियता पाने के एक तरीके के तौर पर बताया गया और कई स्थानीय कलाकार एसोसिएशनों ने उन पर प्रतिबंध भी लगा दिए।
लेकिन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की दखल के बाद उन पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया। अब तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री ने इस मामले की जांच के लिए एक यौन उत्पीड़न कमिटी बनाई है। श्रीरेड्डी ने बीबीसी को एक इंटरव्यू में बताया, ''अगर इंडस्ट्री के लोग मुझसे मेरी नग्न तस्वीरों की मांग करते हैं तों मैं पब्लिक के सामने ही कपड़े क्यों ना उतार दूं?''
हाल ही में एक युवा अभिनेत्री का कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया था और चलती कार में उनके साथ छेड़छाड़ की गई थी, इस घटना के सामने आने के बाद दक्षिणी राज्य केरल ने फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के कल्याण के लिए एक समूह का गठन किया है।लेकिन यौन उत्पीड़न महज़ महिलाओं तक ही सीमित नहीं है।
पुरुष अभिनेताओं की आवाज़
Ranveer Singh
बॉलीवुड के बड़े अभिनेता रनवीर सिंह इस बारे में कहते हैं कि साल 2015 में एक इंटरव्यू के दौरान उन्हें भी कास्टिंग काउच का सामना करना पड़ा था। वे बॉलीवुड के उन कुछ गिने चुने पुरुष अभिनेताओं में से एक हैं जिन्होंने उत्पीड़न के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई है. इसी तरह एक्टर, डायरेक्टर और गायक फ़रहान अख्तर ने भी इस मामले पर अपने विचार खुलकर रखे हैं। उन्होंने MARD नाम से एक अभियान की शुरुआत की है. जिसका पूरा अर्थ है 'मेन अगेंस्ट रेप एंड डिस्क्रिमिनेशन', इस अभियान के तहत देश के अलग-अलग हिस्सों में, गांवों और दूर-दराज़ के क्षेत्रों में यौन हिंसा के प्रति जागरूकता फैलाई जाती है।
फ़रहान अख्तर ने भी उत्पीड़न पर अपने विचार रखे हैं। फ़रहान ने बीबीसी को बताया कि वे महिलाओं को इस बारे में प्रोत्साहित करते हैं कि जितनी भी परेशानियां उन्हें बॉलीवुड में झेलनी पड़ती हैं वे उन्हें सभी के सामने रख सकें। फ़रहान कहते हैं, ''जब महिलाएं कहती हैं कि यहां ऐसा होता है, तो मैं सच में उनकी बातों पर यकीन करता हूं।'' फ़रहान को भरोसा है कि बॉलीवुड में भी #MeToo जैसा पल जरूर आएगा।
वे कहते हैं कि यह तभी संभव है जब महिलाएं खुलकर बोलेंगी, तभी लोगों के दिलों में इन कामों के प्रति शर्म पैदा होगी। हालांकि बीबीसी से बात करते हुए अधिकतर महिलाओं ने कहा कि इस मामले में जब तक बड़े और प्रमुख लोग कुछ नहीं करेंगे तब कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा।और जब तक वह वक्त आता है तब तक यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार बॉलीवुड की तमाम कहानियों में से एक कहानी तो रहेगा ही।